कल मेरी बेटी Meha का जन्मदिन था, फोन पर तो परसों रात और कल शाम ही बधाई और शुभकामनाएं दे दी। 20 दिन बाद (23 सितंबर, 2023) उसके जीवन का बड़ा दिन है। स्त्रीवाद पर उसकी फिल्म "F for Equality" की Chicago South Asian Film Festival में स्क्रीनिंग है। मानवता की सेवा में पढ़ते-लड़ते-बढ़ते रहने की शुभ कामनाएं।
कल कल रात से ही उसे फेसबुक पर सार्वजनिक बधाई देने की सोचा लेकिन उसके जन्म की खबर मिलने पर खुशी के इजहार और बचपन से बड़ी होने तक की कुछ घटनाओं के बारे में सोचते-सोचते सो गया, वैसे शिकागो में 3 सितंबर की शाम अब शुरू होगी, तो उस लिहाज से अभी देर नहीं हुई है।उस समय मोबाइल का जमाना नहीं था, उसके पैदा होने की खबर 2-1 दिन बाद मिली और जेएनयू के दोस्तों के साथ पार्थसारथी प्लैटो पर खूब जश्न मनाया। उसके पैदा होने के anticipation में मैंने जेएनयू में मैरिड हॉस्टल के लिए अप्लाई कर दिया था। नंबर आने ही वाला था कि जनतात्रिक एडमिसन पॉलिसी की बहाली के लिए जेएनयू के 1983 के ऐतिहासिक आंदोलन में भागीदारी के लिए मॉफी न मांगने के अपराध में जेएनयू के अधिकारियों ने रस्टीकेट कर दिया और बेटी के बचपन के साथ का मामला टल गया। 1983 में यूनिवर्सिटी अनिश्चितकाल के लिए बंद थी तथा 1983-84 ज़ीरो सेसन घोषित कर दिया गया था। 1983 में एमए करने वाले एमफिल के लिए दूसरे (प्रमुखतः दिल्ली विवि) विश्वविद्यालयों में गए। मेरा हॉस्टल से इविक्सन दोहरी छुट्टी के दिन हुआ था, 1983 का 2 अक्टूबर संडे को पड़ा था। भूमिका में टेक्स्ट नहीं खो जाना चाहिए, 1983 की कहानी फिर कभी। लब्बो-लबाब यह कि बेटी के बचपन के साथ का सुख टल गया।
6-8 महीने में घर जाता था तो मुलाकात होती थी वह जानती थी कि मैं उसका बाप हूं, लेकिन प्रोटेस्ट में मेरे पास आने में अरुचि दिखाती थी, तो मैं उसे घर से दूर लेकर चला जाता था, फिर एकमात्र परिचित साथ होने की बात से मिभत्रवत हो जाती थी। अभी तक ताने मारती है कि मैंने 4 साल तक उसे गांव में छोड़ रखा था। इसके बचपन की कई रोचक घटनाएं हैं, फिलहाल दो बताता हूं। एक बार बाग में उसने गाना सिखाने को कहा। मुझे बच्चों का एक ही गाना आता था 'इवन बतूता पहन के जूता निकल पड़े तूफान में, कुछ तो हवा नाक में घुस गय़ी कुछ घुस गयी कान में'। यह उसे तुरंत याद हो गया। उसने और की फरमाइश की, मुझे तो जंग है जंगे आजादी टाइप गाने ही आते थे। मैंने दूसरा गीत फैज का सिखाया, 'हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे, एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेगे'। इसे वह बिना बताए मुट्ठी भींच कर गाने लगी। शब्द शैली साथ लाते हैं। बड़ी होने पर जब किसी बात पर कुछ कहता तो कहती, 2 साल के बच्चे को जब जंग है जंगे आजादी सिखाओगे तो जानते नहीं थे कैसी होगी? एक बार खंता-मंता करते हुए मैंने पूछा, तुम्हारे बाप का क्या नाम है, बोली 'ईथ मिश्रा'। मैंने पूछा, मैं हूं तुम्हारा बाप, बोली 'बक'। ऐसा कैसा बाप जो इतने दिनों में मिलने आए।
जब मैं जेएनयू में शोधछात्र था तब डीपीएस आरके पुरम् में गणित पढ़ाता था। 1985 में साकेत में सबलेटिंग का एक फ्लैट किराए पर लिया, जिस दिन बनस्थली से छुट्टी में आई बहन के साथ उसके लिए खटोला देखकर आया उसके अगले और ग्रीष्मावकाश के पहले दिन स्कूल से चपरासी के हाथों नौकरी से बर्खास्तगी की चिट्ठी आ गयी और फिर उस लड़ाई में उलझ गया, जिसकी कहानी फिर कभी। हम कुछ (3) शिक्षकों ने प्रिंसिपल द्वारा कम्प्यूटर टीचर को कम्यूटर चोरी में फर्जी ढंग से फंसाने का विरोध किया था। बाकी दोनों अपेक्षाकृत काफी सीनियर थे। अंततः और 2 साल बाद वह दिल्ली आई और सीधे प्रेप में एडमिसन लेकर स्कूल की पढ़ाई शुरू की।
आप सब से आग्रह कि मेरी बेटी को मानवता की सेवा में आगे बढ़ने, नई ऊंचाइयां गढ़ने-चढ़ने की शुभकामनाएं दें।
जन्मदिन मुबारक हो बेटी, खूब लड़ो-बढ़ो, नई ऊंचाइयां गढ़ो-चढ़ो।
ढेरों शुभकामनाएं मेहा के लिए | और आप दोनों के लिए भी मेहा के आपकी बेटी होने के लिए | खुश रहें |
ReplyDeleteशुक्रिया, सुशील भाई, कृपया अपना फोन नंबर उपलब्ध कराएं, मेरा है: 9811146846
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