Tuesday, September 12, 2023

बेतरतीब 152 ( इस पर क्यों नहीं लिखते)

मेरे किसी कमेंट पर प्रतिक्रिया बिना किसी संदर्भ के मुझे ज्ञान का सागर होने का सम्मान देते हुए पुष्पा जी ने वही सलाह दिया जो बहुत से लोग किसी भी विषय की पोस्ट पर देते रहते हैं कि मुझे इस्लाम; तीन तलाक और भाई-बहन की शादी आदि पर लिखना चाहिए। उस पर:
हम कोई ज्ञान भंडार नहीं हैं, न ही कोई अंतिमज्ञान है। ज्ञान कोई इकाई नहीं है न ही कोई निश्चित अवधारण, ज्ञान अवधारणा नहीं, प्रक्रिया है: एक अनवरत प्रक्रिया। यह परिवर्तनशील, आनादि-अनंत प्रक्रिया ही शाश्वत है; यही सनातन है। जहां तक इस्लाम पर लिखने की बात है तो जरूरत पड़ने पर लिखता ही रहता हूं। तीन तलाक पर तो छपा हुआ आर्टिकल शेयर कर चुका हूं। रटा भजन गाने वाले अंधभक्त नहीं हैं कि बिना संदर्भ कोई रटा भजन गाने लगें। जहां तक भाई-बहन की शादी की बात है रिश्तेके भाई-बहनों (कजिन्स) में शादी का रिवाज कई और समुदायों में भी है। अजीब कठमुल्लापन है, लिखे पर प्रतिक्रिया देने की बजाय अलिखे पर लिखने का तंज कीजिए।वैसे मेरे लिए लिखना बहुत मुश्किल काम है,जितना लिखना चाहता हूं. उतना लिख लेता तो विद्वान कहलाने लगता। (एक किताब का एक चैप्टर पूरा करने में बीरबल की खिचड़ी पकने जितना टाइम लग रहा है।)
कृपया इस बात को अपने ऊपर मत लीजिएगा, यह सवाल बहुत लोग पूछते हैं, इस पर लिख रहे हैं तो इस पर क्यों नहीं लिखते? लेकिन समझ में नहीं आता कि ये कैसे पढ़े-लिखे लोग हैं जो लिखे की समीक्षा; खंडन-मंडन की बजाय अलिखे पर लिखने का रटा सवाल दुहराते रहते हैं। मुझे जिस पर लिखने की जरूरत होगी या जिसका संदर्भ होगा, उस पर लिखूंगा। तीन तलाक पर बहस चली लगा, लगा लिखना चाहिए लिखने का समय निकाला। सनातन पर विवाद चल रहा है, मुझे लगा कि कि सनातन पर अपनी समझ शेयर करना चाहिए कर दिया। (इसका दूसरा ड्राफ्ट बनाने का समय निकाल पाया तो इसे संवर्धित-परिवर्धित करने की कोशिश करूंगा) पोस्ट की विषय प्रस्तुति (प्रजेंटेसन) पर अपनी राय दें, निर्म आलोचना करें। मैं निर्मम आलोचना का हिमायती हूं; निर्मम आत्मालोचना का भी। उचित बौद्धिक विकास के लिए आत्मालोचना अनिवार्य है। आपकी राय अपना लेखन सुधारने के लिए मेरे लिे महत्वपूर्ण होगी।
बाकी जो आपको लगे कि इस पर और कोई क्यों नहीं लिख रहा है, उस पर आप खुद क्यों न लिखें, बस जानकारी इकट्ठा करके उन्हें ऐतिहासिक परिप्रक्ष्य में रखना होता है। मेरे लिए लिखना इतना आसान होता तो प्राचीन यूनानी चिंतक अरस्तू की तरह दुनिया के सब विषयों पर लिख चुका होता। तो विनम्र निवेदन है कि जो लिखता हूं या लिख पाता हूं, उसे पढ़ने का मन न हो तो पढ़कर बता दीजिए कि इसमें क्या गड़बड है, और मैं पोस्ट डिलीट कर दूंगा। बाकी मुझसे लिखने के लिए कहने की बजाय आप खुद लिखें, लिखने में मैं आपकी मदद कर सकता हूं, शोध यानि जानकारी जुटाने का काम आपको खुद करना पड़ेगा।

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