परिन्दों की परवाज़ का चाँद को क्या पता?
चुनते सुबह सुबह दाना शाम तक लापता
खुद भयभीत है इंसानों के नापाक इरादों से
कब्ज़ा न लें उसको हवा-पानी के इंतज़ाम से
देखता है वह आज़ाद परिंदों की उड़ान
सहमता है समझ इन्हें अंतरिक्ष यान
(ईमिः13.12.2014)
No comments:
Post a Comment