Tuesday, December 23, 2014

शोर प्रतिध्वनियों का

कम ही सुनायी देती है कोई अावाज़ अब
सुनायी देता है शोर प्रतिध्वनियों का
निलती जो बात किसी सुमुख से
होता है भाव रट्टू तोते का
बंदानवाज ने कहा विकास
कास-कास की प्रतिध्वनियों से गूंज गया अाकाश
कहा वाशिंगटन में किसी ने अार्थिक सुधार
सुनायी पडा दिल्ली में धार-धार-धार
जानते नहीं क्या है धारा तीन सौ सत्तर
खात्मा मगर है इसका राष्ट्रवाद का उत्तर.
(ईमिः24.12.2014)

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