यह मान है नतीजा अधूरे ज्ञान का
निराधार वायवी अभिमान का
अारर होता है यह जामुन की डाल की तरह
अौर नाज़ुक मोम से मजहबी ज़ज़्बात की तरह
अांच से ही जल जाता है होता इतना ज्वलनशील
परिहास पर गुर्राता है होता इतना सहनशील
कितना रोमांचकारी है रास्ते से भटकना रास्तों का
सुखद संयोग हो सकता है भटकाव नये वास्तों का
हो ग़र ग़म-ए- जहां से वास्ता
मिल ही जाता है ज़िंदगी को नया रास्ता
टूट जाता है लीक पर चलने की ऊब से नाता
साझे सरोकारों का हमसफर जो मिल जाता
(ईमि/24.12.2014)
निराधार वायवी अभिमान का
अारर होता है यह जामुन की डाल की तरह
अौर नाज़ुक मोम से मजहबी ज़ज़्बात की तरह
अांच से ही जल जाता है होता इतना ज्वलनशील
परिहास पर गुर्राता है होता इतना सहनशील
कितना रोमांचकारी है रास्ते से भटकना रास्तों का
सुखद संयोग हो सकता है भटकाव नये वास्तों का
हो ग़र ग़म-ए- जहां से वास्ता
मिल ही जाता है ज़िंदगी को नया रास्ता
टूट जाता है लीक पर चलने की ऊब से नाता
साझे सरोकारों का हमसफर जो मिल जाता
(ईमि/24.12.2014)
No comments:
Post a Comment