जब से देखा खुदा को ड्योढ़ी पर सेठ-सामंतों की
फेरने से पहले मुंह उसके मैंने ही मुंह फेर लिया
डूब रही थी भव सागर में जहां गरीब की कश्ती
नाखुदाओं की साज़िश में शामिल था खुदा भी
करते हैं इंसान जब इंसान को इंसान से जुदा
हर हर करते महादेव की कहते महान है ख़ुदा
करते तालिबानी भक्त बच्चों का कत्ल-ए-अाम
लूटते हैं मुल्क की अश्मत बोलते जयश्रीराम
अलग-अलग खुदाओं के अलग-अलग मज़हब
तोड़ने में सामासिक संस्कृति इनकी एकता गज़ब
अापसी अावाजाही है गज़ब का सियासी खेल
बांटने में समाज खुदाओं में दिखता अज़ब का मेल
(ईमिः19.12.2014)
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