Thursday, September 19, 2013

ये बेहोशी का आलम


है ये बेहोशी का आलम मन की  मदहोशी से
फंसते हैं भुलावे में  मन की आँखें न खोलने से
वैसे ही दिखेगी दुनिया सदा गफलत में रहने से
बदलेगी जरूर मगर सजग कोशिस करने से.
[ईमि/१०.०९.२०१३]

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