मूश्किल जरूर है हवा को पीठ न देना
और चलाना कश्ती धारा के विपरीत
लेकिन नामुमकिन नहीं
हैं इरादे ग़र बुलंद
घर्षण से ही लहरों के
मिलती वह ऊर्जा
चलती जिससे जीवन की गाड़ी
निर्वात कभी नहीं रहता
कभी तुम होते हो
कभी अवसाद
[ईमि/17.09.2013]
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