तुम्हे हारना ही है
फासीवाद
ईश मिश्र
निकलता है जब
कारवानेजुनून मेहनतकशों का
तोड़कर जाति-धर्म-रंग
और राष्ट्रीयता की दीवारें
मार्च
करता है उन मैदानों और खेतों से
हैं जो कब्रगाहें भूत-ओ-भविष्य
के हिटलरों की
चंगेजों और नादिरशाहों की
चंगेजों और नादिरशाहों की
तुम्हारी हार
निश्चित है हिटलर के वारिसों
तुम अभिशप्त हो
हारने के लिए फासीवाद के सिरमौरों
उसी तरह जैसे हारते
आये हो तारीख के पन्नों में
हमारे हाथों में
बन्दूक ही नहीं कलम भी है
जो औज़ार के साथ हथियार भी है हमारा
कांपते हो जिसके खौफ़ से तुम
मुसोलिनी की औलादों, फ्रैंको के वारिसों
जो औज़ार के साथ हथियार भी है हमारा
कांपते हो जिसके खौफ़ से तुम
मुसोलिनी की औलादों, फ्रैंको के वारिसों
मजबूर हो तुम हारने
के लिए फासीवाद
उसी तरह जैसे अवश्यंभावी है जीत इंकिलाब की
उसी तरह जैसे अवश्यंभावी है जीत इंकिलाब की
साथ हैं हमारे यादें
क्रिस्टोफर काद्वेल की
रहते थे जो इंग्लैण्ड
में
लिखते थे आज़ादी के तराने
और मरशिया सरमाये के
निजाम का
आया जब ख़तरा आज़ादी
पर स्पेन में
छोड़ा नहीं कलम उठा
लिया बन्दूक
शहीद हो गए
जंग-ए-आज़ादी की बेदी पर
खोदते हुए फसीवाद की कब्र स्पेन की धरती पर
खोदते हुए फसीवाद की कब्र स्पेन की धरती पर
अभिशप्त हो तुम हारने के लिए फ्रैंको के वारिसों
उसी तरह हारा था जैसे तुम्हारा वह कमीना पूर्वज
उड़ जाओगे तिनके की तरह
बढ़ेगा आगे जब कारवाने जुनून
ले यादें साथ कामरेड चे की
खाकर कर कसम लाल फरारे की
निकल पड़े थे जो कर पार सीमा देशकाल की
फहराने इंक़िलाबी परचम धरती के सीने पर
गुनगुनाते हुए बरतोल ब्रेख्त के इंक़िलाबी तराने
लिखते हुए एक सुंदर दुनिया के नये फसाने
डरकर जंग-ए-आज़ादी के शैलाब से
मार दिया था तुमने जिसे कायराना फरेब से
काँप रहा हो अब लहू के उनके एक-एक कतरे से
बन गये हैं जो ज़ंग-ए-आज़ादी के हरकारे
हर रोज हार रहे हो जिससे तुम कायर फासीवाद
बढ़ेगा आगे जब कारवाने जुनून
ले यादें साथ कामरेड चे की
खाकर कर कसम लाल फरारे की
निकल पड़े थे जो कर पार सीमा देशकाल की
फहराने इंक़िलाबी परचम धरती के सीने पर
गुनगुनाते हुए बरतोल ब्रेख्त के इंक़िलाबी तराने
लिखते हुए एक सुंदर दुनिया के नये फसाने
डरकर जंग-ए-आज़ादी के शैलाब से
मार दिया था तुमने जिसे कायराना फरेब से
काँप रहा हो अब लहू के उनके एक-एक कतरे से
बन गये हैं जो ज़ंग-ए-आज़ादी के हरकारे
हर रोज हार रहे हो जिससे तुम कायर फासीवाद
निकल रहा हूँ जंग-ए-आ के
लिए लेकर कलम
तथा बुलंद इन्किलाबी
इरादों के जज्बात
और विरासत शहादत की
भगत सिंहों की
हम ख़त्म कर देंगे
गुलामी का निजाम
ख़त्म होते-होते
जंग-ए-आज़ादी ऐ फासीवाद!
हारोगे ही तुम
हिटलरों और मुसोलिनियों
नादिरशाहों और
चंगेजों
अभिशप्त हो हारने को
तुम
मौदूदियों और गोल्वल्करों
बिन-लादेनों और
मोदियों
उमड़ पड़ा है जन सैलाब
खोदते हुए तुम्हारी कब्रें
दफन करेगा आवाम
तुम्हे तुहारे पूर्वजों के साथ
हारोगे ही तुम ऐ
फासीवाद!
मुसोलिनी-हिटलरों की
तरह
पराजयतुम्हारी नियति है फासीवाद!
तुम्हे हारना ही है
फ़ौज से नहीं
फ़ौज से नहीं
जीतेंगे हम यह जंग-ए-आज़ादी
जनवाद के जनसैलाब से
जनवाद के जनसैलाब से
जीतना ही है हमें यह
जंग
उसी तरह जैसे
अभिशप्त हो तुम हारने के लिए
हिटलरों के
वारिसों और मुसोलिनी की औलादों!
हारोगी ही तुम
और जीतेगा आवाम
और जीतेगा आवाम
[ईमि/२५.०९.२०१३]
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