Friday, September 20, 2013

खुदा के नाखुदा

जब से हुआ इस दुनिया में खुदा का वजूद
हो गया इंसान इंसानियत से महफूज़
फंस गया वह मज़हबों के मायाजाल में
चल पड़ा फिरकापरस्ती की भेड़ चाल में
नहीं रहा कभी निजी आस्था का मामला
तैयार करता रहा है रक्तपात का मसाला
कभी नहीं रहा मज़हब सियासत से ज़ुदा
दिखता रहा है खुदा बनकर ना-खुदा
करते हैं इसके नुमाइंदे हमला इंसानियत पर
शरमाते नहीं पोप-मुल्ला-बाबा की हैवानियतपर
करते हैं ये मानवता पर भीषण अत्याचार
बेटी-मां का साथ-साथ सामूहिक बलात्कार
करता हूँ किसी भगवान को मानने से इंकार
होता है जिसके नाम पर हैवानी दुराचार
[ईमि/21.09.2013]

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