प्रो. बनवारीलाल शर्माद्भुत शिक्षक थे। गांधीभवन में सांप्रदायिकता पर 1992 में सेमिनार करवाया था. राजनैतिक मतांतर (गांधीवाद-मार्क्सवाद) के बावजूद मेरे प्रति उनका असीम स्नेह रहता था और उनके प्रति मेरा असीम सम्मान। मार्च 2012 में उनके विद्यापीठ में लंबी मुलाकात हुई। उस समय वे पानी के कॉरपोरेटीकरण को लेकर बहुत चिंतित थे। अक्टूबर में अगली मुलाकात होनी थी, लेकिन सितंबर में ही चंडीगढ़ से इलाहाबाद के रास्ते में अचानक पड़े दिल के दौरे से उनका देहांत हो गया। पिछली मुलाकात अंतिम हो गयी। विनम्र नमन।
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