Friday, September 11, 2020

फुटनोट 246 (पत्रकारिता)

 सही है कि पत्रकारिता कोर्स करने से नहीं आती। लिखना (पत्रकारिता समेत) कोई सिखा नहीं सकता। मैं भी कई साल पत्रकार (जयादातर फ्रीलांसर)रहा हूं। लेकिन यदि शिक्षक अच्छे मिल जाएं तो कई मूलभूत अवधारणाओं (कॉन्सेप्ट्स) की स्पष्ट समझ में मदद मिल जाती है। मैं कुछ साल दून यूनिवर्सिटी के मासकम्यूनिकेसन के छात्रों को पॉलिटिकल इकॉनमी पढ़ाने जाता था, प्रायः शनिवार को। मानदेय तो 1 घंटे का मिलता था लेकिन हमारा क्लास नाश्ते से शुरू होकर रात्रिभोज तक चलता था। मैं मानदेय के लिए नहीं, पढ़ाने के सुख के लिए जाता था। कुछ बैचों के छात्र तो मेरे नियमित छात्रों से हैं वे भी मुझे नियमित शिक्षक से अधिक अपना शिक्षक मानते हैं। सभी बहुत अच्छा कर रहे हैं, हो सकता है वे बिना कोर्स किए भी अच्छा करते लेकिन क्लासेतर कैंपस की गतिविधियां भी शिक्षाप्रद होती हैं। अंत में लिखने के लिए ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समाज की समझ की जरूरत होती है।

No comments:

Post a Comment