Friday, September 25, 2020

लल्ला पुराँ 348 (लव जेहाद)

एक मित्र ने एक खबर के हवाले से लिखा कि एक मुसलमान पति ने हिंदू पत्नी को इसलिए मार डाला कि इस्लाम में 'मजहब' की अहमियत विधर्मी बीबी से ज्यादा होती है। उस पर --

दूसरे धर्मों के बारे में लोगों की जानकारी बहुत प्रामाणिक होती है! हो सकता है वह व्यक्ति ही अपराधिक प्रवृत्ति का हो किसी और कारण से पत्नी को मार दिया हो।तमाम लोग अपने ही धर्म की पत्नियों को मार देते हैं। देहरादून में आईआईटी के पढ़े एकव्यक्ति ने बीबी को मार कर टुकड़े-टुकड़े करके रेफ्रीजररेटर में रखकर लाश को धीरे धीरे कई दिनों में ठिकाने लगाया था। पश्चिमी उप्र और हरयाणा में हर साल दर्जनों हानर किलिंग होती हैं। हिंदू लड़कियां जैसे बुद्धू हैं कि उनमें कोई किसी धर्म के प्रति घृणा या मोहब्बत भर देगा। लड़कियां लड़कों स विवेकशील होती हैं। पिछले कई दशकों से पढ़ाई एवं अन्य क्षेत्रों में लड़कियां लड़कों से बेहतर कर रही हैं। पत्नी का हत्यारा नरपिशाच किसी धर्म का हो सकता है। विचारधारा के रूप में सांप्रदायिकता का ऐसे ही निर्माण होता है। अब्बास नकवी और शाहनवाज खां की बीबियां हिंदू हैं, उन्हे कोई लव जिहादी नहीं कहता। मेरे कई दोस्तों की बीबियां मुसलमान हैं। आइे हिंदू-मुसलमान की संयोगवश मिली अस्मिता से ऊपर उठकर विवेतशील इंसान के रीप में परिघटनाओं की तार्किक विवेचना करें। हत्या जैसा जघन्य अपराध, घोर निंदनीय कुकृत्य है, इस नरपिशाच हत्यारे को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए।

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