Tuesday, September 1, 2020

फुटनोट 242 (मन की बात)

 मैं तो मन की बात सुनता नहीं हूं लेकिन 130 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले महामहिम के मन की बात की महिमा जानने के लिए सुनना जरूरी नहीं है। लेकिन उनके मन की बात न सुनने के पीछे मेरी जन्मजात अनुशासनहीनता है, महामहिम के मन की बात की महिमा की कमी या मन में महामहिम के प्रति कोई असम्मान नहीं। फेसबुक पर कुछ देशद्रोही किस्म के लोगों ने महामहिम के मन की बात की 5 लाख लोगों द्वारा नापसंदगी शेयर किया है, वह भी महामहिम द्वारा भगवान राम के मंदिर के लिए चांदी के ईंटों के साथ भूमिपूजन के पुण्य काम के चंद ही दिनों बाद! इतनी असहिष्णुता? अब तहां है कलबुर्गी और गौरीलंकेश के बध पर मोमबत्ती जलाने वाला अहसहिष्णुता गैंग? आजादी गैंग और चुकड़े चुकड़े गैंग की भी जुबान अब बंद है। वैसे 130 करोड़ के सामने 5 लाख की क्या बिसात, सबके खिलाफ यूएपीए में गैरजमानती वारंट जारी हो सकता था, लेकिन महामहिम ऐसी सहिष्णु संस्कृति की नुमाइंदगी करते हैं जिसमें विरोधी का भी आतिथ्य किया जाता है। मानवाधिकार के नाम पर देशद्रोह को अंजाम देने वाले कवियों, प्रोफेसरों, वकीलों और बुद्धिजीवियों को भी जीने का अधिकार दिया जाता है, जेल में ही सही। इरान होता तो कब के मार दिए गए होते ये लोग। इतनी असहिष्णुता कि महामहिम के मन की बात को डिस्लाइक करने वाले इतने लोग? कम्युनिस्टों का शासन होता तो इन्हें कब का मीर दिया गया होता। भगवान ने दुनिया से इन्हें विदा कर दिया लेकिन केरल में अभी भी बचे हैं। देश संकट में है, महामहिम इससे निकालने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं, मोरों को दाना चुगा रहे हैं, बतखों का तस्वीरें खींच रहे हैं, कबूतर उड़ा रहे हैं। लेकिन इन कृतघ्न देशद्रोहियों को महामहिम का पक्षीप्रेम नहीं दिखता, उनके मन की बात डिसलाइक करने की धक्कमपेल लगाए हुए हैं। महामहिम की जनतंत्र में अटूट आस्था का ही मामला है कि खुद के मन की बात का असम्मान करने वाले जयचंदों को बर्दाश्त कर रहे हैं। महामहिम की महानता ही है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कफील जैसे डॉक्टरों को रिहा करने की जुर्रत कर सकता है और जजों का लोया भी नहीं होता। देश संकट में है, चीन सीमा में घुसा आ रहा है, पाकिस्तान आतंकी घुसपैठ करा रहा है। बंगलादेशी घुसपैठिए देश को खोखला कर रहे हैं। इस संकट की घड़ी में महामहिम के मन की बात का महिमामंडन की बजाय ये पातकी महामहिम के मन की बात डिस्लाइक करके दुश्मनों के हाथ मजबूत कर रहे हैं। मेरा इनके कुकृत्य से इतना दुखी है कि और लिखना मुश्किल हो रहा है। अयोध्या के भावी मंदिर में भविष्य में बिराजने वाले भगवान राम से यही प्रर्थना है कि इन कृतघ्नों को सद्बुद्धि दें कि वे देश पर आसन्न संकट को समझें तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महामहिम के मन की बात का महिमामंडन करें।

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