यह किसी पार्टी की नहीं जनता की जीत है। यह जिन्ना पर गन्ना की जीत है। हिंदू मुस्लिम नफरत की सियासत के अलावा इन देशभक्तों के पास कोई नीति है नहीं, धनपशुओं की सेवा के अलावा। ये जिन्ना-नमाज-तलाक में फंसाये रहते हैं। जब तक धर्मांधता रहेगी चालू लोग आपको उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे। लेकिन पेट का सवाल, नाक के सवाल से पहले आता है। मैक्यावली ने राजा को सलाह दी थी कि लोगों को जितना ही उल्लू बनाओ लेकिन उनके पेट पर लात मत मारना. िस समय काश कोई जनवादी विकल्प होता? काश तीनों चुनावी पार्टियां ही एक हो जातीं और दलछुट-बेदल कम्युनिस्ट, सारे मतभेद और गालियों को भविष्य के लिए मुलतवी कर इनका समर्थन करते। खैर...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment