Rakesh Tiwari सही कह रहे हैं कि नेहरू बाद की हिंसा को पूरी तरह नहीं रोक सके क्योंकि धर्मोंमादी आरयसयस तथा जमाती आतंकवादी तब भी वैसी ही नफरत की आग लगा रहे थे जैसे आज। बंटवारे के लिए दोनों ही किस्म के धर्मोंमादी आतंकवादी वैसे ही धार्मिक मफरत की आग फैला रहे थे जैसे आज। मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार चलाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता धर्मोंमादी आतंकवादी हिंसा भड़काने में मशगूल थे तथा आजादी के बाद एक स्वयंसेवक से गांधी की हत्या करवा दी। गोंडा में वैसी ही नफरत फैलाने के उद्देश्य से गोंडा में रात को गाय काटते हुए हिंदू युवा वाहिनी का दीक्षित पकड़ा न जाता तो कितने मुसमान मारे जाते और बस्तियां जलाई जातीं। गोरक्षकों ने दीक्षितों का गांव क्यों नहीं जलाया? मोदी समेत किसी भक्त ने उसकी निंदा तक न की। नेहरू ही थे जो इस आतंकवादी आग को दावानल बनने से रोक सके। कभी कभी जो लिखा गया है, पूरा पढ़कर उसकी आलोचना किया कीजिए। आप भी जानते हैं कि वेसे ही नफरत की आग फैलाने के मकसद से मोदी-शाह की जोड़ी ने नरसंहार-बलात्कार स्थाई विस्थापन का आयोजन किया। मुजफ्फरनगर-शामली में सांप्रादायिक हिंसा और बलात्कार के आयोजन से 400-500 साल से एक साथ रह रहे जाट-मुसलमानों के गांवों को नफरत की आग में झोंक मुस्लिमविहीन बना दिया। योगी ने उन हत्यारे बलात्कारियों से मुकदमें वापस ले लिया। आप संयोग से तिवारी घर में पैदा हो गए, अगर किसी मुसलमान घर में पैदा हो जाते तो? कभी जन्म के संयाग की अस्मिता से ऊपर उठकर एक निखालिस इंसान के रूप में सोचें तो आपको मेरी बात समझ आ जाती। उनके गोरक्षक आतंकवादी हत्यारों ने देश भर में हत्याएं की। लेकिन यह सब जानने के बावजूद उनकी भक्त बन आप परोक्ष रूप से उनके अमानवीय, बर्बर अपरोधों के सहभागी बन गए। लेख में लिखा गया है कि नेहरू क्रांतिकारी नहीं थे तुलनात्मक रूप से नेहरू एकमात्र विद्वान प्रधानमंत्री हुए हैं। आपकी अटूट भक्ति को नमन।
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