Saturday, May 19, 2018

ईश्वर विमर्श 61 (धर्म)

मैंने कहा न कि धर्म-कर्म कमजोर लोगों के चोचले हैं। मेरा भूत-भगवान की कल्पनाओं का डर 17-18 तक खत्म हो गया। मैं अगवानों-भगवानों के बारे में न सोचता हूं न मनुष्य द्वारा निर्मित इन काल्पनिक अवधारणाओं से डरता हूं। और उनकी ऐसी-तैसी करता हूं, चुनौती के साथ कि मेरा जो बिगाड़ना हो बिगाड़ ले। मजबूत आत्मबल वालों को धर्म और भगवान की बैशाखी नहीं चाहिए। धर्म की बैशाखी की जरूरत आत्मबल के लंगड़ों को होती है।

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