जिन्हें यह पता है कि ईश्वर मनुष्य निर्मित अवधारणा है तथा जिन्हे आत्मबल की अनुभूति होती है उन्हें किसी खुदा की बैशाखी की जरूरत नहीं पड़ती। नास्तिक होने के लिए विवेक और अदम्य साहस की जरूरत होती है। लीक पर चुपचाप चलना स्वाभाविक प्रक्रिया है, लीक से हट कर अपना रास्ता बनाने में अदम्य साहस की जरूरत होती है, जो भीरुओं के बस की बात नहीं है। नास्तिक तर्क-विवेक की बातों को छोड़कर किसी सत्ता में विश्वास नहीं करता. उसी को सत्य मानता है जिसका प्रमाण हो। मैंने तो 13साल में जनेऊ तोड़ दिया था और पिताजी की कंप्टीसन की तैयारी की बात न मानने के लिए 18 साल में पैसा लेना बंद कर दिया था। उहलौकिक शक्ति का भरोसा छोड़ने के बाद ही इहलौकिक पिताजी का भी भरोसा छोड़ दिया।
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