एक मित्र ने आईएस अधिकारियों के तबादले की प्रताड़ना का जिक्र किया, उस पर:
आप शायद डॉ. अशोक खेमका की बात कर रहे हैं, 44-45 तबादलोंके बावजूद ईमानदारी पर डटे हुए हैं। अब तो रिटायर होने वाले होंगे। ऐसे ईमानदार आईएएस शायद 0.1% होंगे। यदि 10% आईएएस भी देश सेवा करने के पाखंड को खंडित कर सचमुच में ईमानदारी से काम करते तो देश का नक्शा ही बदल जाता। मिशाल मिशालें तैयार करती हैं। सरकारें तबादले के अलावा उनका कुछ नहीं कर सकतीं। हम जब इलाहाबाद में पढ़ते थे तो बिहार कैडर के एक आईएएस, केबी सक्सेना की सनकपूर्ण ईमानदारी की किंबदंतियां सुनते थे। धनबाद में पोस्टिंग हुई तो कोल माफिया सूरजदेव सिंह को गिरफ्तार किया। पत्नी डीएम की अधिकारिक कार लेकर सिनेमा देखने चली गयीं तो पुलिस में रिपोर्ट कर दी। पत्नी ने तलाक ले लिया। वे बोरिया-बिस्तर बांध कर तबादले के लिए तैयार रहते थे। जिस विभाग में गए वहीं कुछ "गड़बड़" कर देते थे। रिटायर होने के बाद हम लोगों के साथ जनहस्तक्षेप में हैं। 2013 में बंद अशोक पेपर मिल, दरभंगा में पुलिस गोलीबारी में मजदूरों की मौत की फैक्ट फाइंडिंग में गए थे। डीएम एक नया आईएएस था। हम लोगों ने एक रिपोर्ट की कॉपी यह कह कर मांगा कि यदि गोुनीय न हो। उसने कहा पटना मेंलोग पैसा लेकर दे रहे हैं तो गोपनीयता तो वैसे ही खत्म हो गयी। मैंने कहाथा, "बेटा तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, बस तबादले के लिए तैयार रहना"। एक महीने के भीतर उसका तबादला हो गया।
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