यदि हम अंधविश्वास, धर्मांधता तथा जातीय एवं सांप्रदायिक नफरत के निर्माण में ऊर्जा व्यर्थ करने तथा अति प्राचीनकाल में महानताएं खोजने की बजाय उसे वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञानार्जन एवं उपयोग की सामग्रियों के निर्माण में निवेश करें तो हम उनके लिए चीन या किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं होंगे, न ही सरकार को सैनिकों की शहादत पर झूठ बोलना पड़ेगा। मुंहतोड़ जवाब देने की जुमलेबाजी के बाद कल प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि कोई भी भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा है न कोई सैनिक चौकी कब्जा किया है तो महामारी के भयानक काल में इतना युद्धोंमाद क्यों? सरकार के इस दावे के बाद कि कोई भारतीय सैनिक चीन के कब्जे में नहीं है, चीन ने अगवा किए 10 सैनिकों को मुक्त किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति युद्ध-युद्ध का बच्चों का खेल है क्या? सैनिकों की जान की कीमत केवल चुनावी वोट है क्या? चीनी सामान के बहिष्कार की शगूफेबाजी तथा युद्धोंमाद से आगे औद्योगिक स्वालंबन पर गंभीर विचार-विमर्श की आवश्यकता है। युद्ध अपने आप में एक गंभीर समस्या है यह किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
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Well said
ReplyDeleteशुक्रिया कॉमरेड
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