मिथ्या चेतना के अर्थ मेंं हम अन्य विचारधाराओं की ही तरह, मर्दवाद की विचारधारा को भी सांस्कृतिक मूल्य के रूप में आत्मसात कर लेते हैं जिससे मोहभंग में बहुत प्रयास तथा साहस की जरूरत होती है, इसीलिए इसमें समय लगता है। विचारधारा उत्पीड़क तथा पीड़ित दोनों को प्रभावित करती है। पति को ही नहीं लगता कि रसोई और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी पत्नी की ही होती है, बल्कि पत्नी को भी ऐसा ही लगता है। आर्थिक परिवर्तन के साथ कानूनी और राजनैतिक अधिरचनाएं तुरंत बदलती हैं, लेकिन सांस्कृतिक संरचना इतनी गहरी पैठी होती है कि समय लगता है। हमारी पीढ़ी की नौकरीशुदा ज्यादातर स्त्रियां डबल रोल करती हैं -- फुलटाइम प्रोफेसनल और फुलटाइम हाउस वाइफ। इसमें न तो भौतिक बलप्रयोग (coercion) होता है न आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक। एंतोनियो ग्राम्सी का वर्चस्व सिद्धांत इसकी सटीक व्याख्या करता है। लेकिन स्त्री प्रज्ञा और दावेदारी का रथ जिस गति से आगे बढ़ रहा है, चीजें बदलेंगी ही। कई लड़कियों ने शादी के बाद नाम में पति का सरनेम जोड़ना बंद कर दिया है। कुछ ने आधा रास्ता तय किया है शादी के पहले का सरनेम छोड़े बिना साथ में पति का सरनेम जोड़ लिया है। यह परिवर्तन प्रतीकात्मक है लेकिन प्रतीकों का बदलाव की राजनीति में अपना महत्व है।
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