यह किसी पार्टी की नहीं जनता की जीत है। यह जिन्ना पर गन्ना की जीत है। हिंदू मुस्लिम नफरत की सियासत के अलावा इन देशभक्तों के पास कोई नीति है नहीं, धनपशुओं की सेवा के अलावा। ये जिन्ना-नमाज-तलाक में फंसाये रहते हैं। जब तक धर्मांधता रहेगी चालू लोग आपको उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे। लेकिन पेट का सवाल, नाक के सवाल से पहले आता है। मैक्यावली ने राजा को सलाह दी थी कि लोगों को जितना ही उल्लू बनाओ लेकिन उनके पेट पर लात मत मारना. िस समय काश कोई जनवादी विकल्प होता? काश तीनों चुनावी पार्टियां ही एक हो जातीं और दलछुट-बेदल कम्युनिस्ट, सारे मतभेद और गालियों को भविष्य के लिए मुलतवी कर इनका समर्थन करते। खैर...
Thursday, May 31, 2018
Wednesday, May 30, 2018
मोदी विमर्श 83 (70 साल)
Virender S. Negi जी यदि आप सांप्रदायिक (हिंदुत्ववादी) हैं तो आप निश्चित ही जातिवादी भी हैं। जातिवाद सांप्रदायिकता का उपप्रमेय है। हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि ऊंची-नीची जातियों का एक समुच्चय मात्र है। हिंदू कोई नहीं पैदा होता, केोई बाभन पैदा होता है तो कोई चमार। हर सांप्रदायिक जातिवादी (ब्राह्मणवादी) होता है। अगर आप सांप्रदायिक हैं तो जातिवादी भी हैं। जातिवाद और सांप्रदायिकता एक दूसरे के पूरक हैं। बाकी पंजीरी खाकर भजन गाते रहिए। 4 साल की विफलता पर 70 साल का भजन वैसे ही है जैसे किसी को उसके अपराध की याद दिलाइए तो वह दूसरों का अपराध गिनाने लगता है। ऐसा व्यक्ति दोनों अपराधों का औचित्य पेश करता है जो उसकी आपराधिक मानसिकता का परिचायक है।
ईश्वर विमर्श 62 (भक्तिभाव)
एक भक्त प्रोफेसर की ईश्वर से मुझे सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की, उसका जवाब:
सद्बुद्धि की जरूरत अमानवीय, फिरकापरस्त, ब्राह्मणवादी ,मानवद्रोहियों को है, जो पीयचडी करके भी हिंदू-मुसलमान से इंसान नहीं बन पाते। ईश्वर की बैशाखी की जरूरत आत्मबलविहान भक्तों को चाहिए, मुझे किसी ईश्वर-फीश्वर के संबल की जरूरत नहीं है, मेरा आत्मबल ही मेरा संबल है। आपको मेरी शुभ कामनाएं कि अंधभक्त से चिंतनशील इंसान बनें।
सद्बुद्धि की जरूरत अमानवीय, फिरकापरस्त, ब्राह्मणवादी ,मानवद्रोहियों को है, जो पीयचडी करके भी हिंदू-मुसलमान से इंसान नहीं बन पाते। ईश्वर की बैशाखी की जरूरत आत्मबलविहान भक्तों को चाहिए, मुझे किसी ईश्वर-फीश्वर के संबल की जरूरत नहीं है, मेरा आत्मबल ही मेरा संबल है। आपको मेरी शुभ कामनाएं कि अंधभक्त से चिंतनशील इंसान बनें।
मोदी विमर्श 82 (बर्बर समाज))
रामनगर (नैनीताल) में लव जेहाद का हव्वा खड़ाकर एक मुसलमान युवक की हत्या पर उतारू बजरंगियों के गिरोह के बीच से जान जोखिम में डाल कर उसे बचाने वाला बहादुर दरोगा गगनदीप भूमिगत हो गया है, लोग कह रहे हैं उसे छुट्टी पर भेज दिया गया। फ्रांस में एक सोमाली प्रवासी (अवैध) ने जान-जोखिम में डालकर, बहुमंजली इमारत की एक बॉल्कनी से लटक रहे बच्चे को बचाया। उसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया, राष्ट्रपति ने उसे तुरंत फ्रांसीसी नागरिकता दे दी और सरकारी नौकरी देने की घोषणा। सभ्य और वर्बर समाजों में यह फर्क होता है। इस पोस्ट पर कोई भक्त आकर आदेश दे सकता है कि यह देश इतना बुरा है तो देश छोड़कर चला जाऊं, जैसे देश उसके बाप की जागीर हो। हम देश छोड़कर नहीं जाएंगे, इसे सभ्य बनाएंगे।
Tuesday, May 29, 2018
शिक्षा और ज्ञान 162 (पौराणिक गौरव)
Ranjan Yadav तुम्हारे अंदर के राष्ट्रोह के बीज अंकुरित हो रहे हैं, सीबीयससी के नंबर प्रणाली पर उंगली उठाते हुए 100 साल की दुाई दे रहे,हुए अभी 70 साल? 100 साालों में ज्ञान के विकास की बात कर हमारे पौराणिक पूर्वजों के अपमान से हमारी धार्मिक भावनाएं आहत कर रहे हो। हमारे पौराणिक पूर्वजों सारे अन्वेषण लाखों साल पहले (पाषाण युग) कर चुके थे। बीच में कम प्रचीन पूर्वजों ने मुस्लिम हमलावरों बचाने के लिए उन्हें सुरक्षित जगहों पर छिपा दिए। हमारे उनसे कम प्राचीन पूर्वज उन्हें फिर से खोजने की कोशिस करते कि अंग्रजों ने हमला कर दिया। अंग्रेज तेज तर्रार थे खोज लिए और ले भागे। बेईमानों ने ऋषियों मुनियों के नामों का विधर्मीकरण करके कॉपी-राइट हड़प लिया। क्या किया 70 साल के नेहरू वंशवाद ने? गौरवशाली विरासत वापस लाने की कोई कोशिस की? मैं तुसे पूछ रहा हूं की कि नहीं की? नहीं की आपलोगों में किसी को मालुम हो तो बताएं, मेरी जानकारी में तो नहीं की। पहली बार राष्ट्र में एक ऐसी सरकार आई है जिसने इतिहास को चुनौती है तथा इतिहास पुर्लेखन की एक कमेटी बनाया है, जिसका मकसद प्राचीन गौरव का पुनर्जन्म है। 70 साल की गड़बड़ी सोचते हो 4 साल में सुलझ जाएगी। कमेटी में अभी अन्वेषण की अवधि पर गहन विचार-विमर्श चिंतन-मनन कर रहीं है कि गौरव का अन्वेषण हजारों साल पहले से किया जाय कि लाखेों। उम्मीद है कि कमेटी के विद्वान सदस्य शीघ्र ही इस विवाद को सुलझा लेंगे तथा 2022 से पौराणिक पूर्वजों के आविष्कार को विदेशियों के चंगुल के छुड़ाने और वैज्ञानिकों के पुनर्नामकरण की परियोजना सुचारु रूप से शुरू हो जाएगी, लेकिन आप हैं कि हमेशा नेगेटिव ही सोचेंगे। फासिजम फासिजम चिल्लाते रहते हैं। फासिजम होता तो आप ऐसे नेगेटिव सोच पाते? आप ही जैसे लोग दुनिया में अपने प्राचीन पूर्वजों के प्राचीन गौरव को छवि को धूल धूसरित करते हैं। हमारे सूरवीर पूर्वजों ने हमलावरों के जवाब क्यों नहीं दिए? यह फिर कभी, एक हमारे धर्मद्रोही पूवर्ज थे बुद्ध उन्होंने हमारे शूरवीरों को अहिंसक बना दिया था।
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