Monday, February 13, 2017

नवब्राह्मणवाद 12

कर्म और विचारों की बजाय जन्म की जीववैज्ञानिक दुर्घना के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन ब्राह्मणवाद का मूल मंत्र है, जो जन्म की अस्मिता से ऊपर नहीं उठ पाता वह बाभन से इंसान नहीं बन पाता और आजीवन पंजीरी खाकर भजन गाता रहता है. और मोदी जैसे नरसंहारी का भक्त बन विवेकहीन भक्तिभाव के रोग से आजीवन ग्रसित रहता है.

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