Thursday, February 23, 2017

नवब्राह्मणवाद 14

फूले, अंबेचकर पेरियार हर शोषित के दार्शनिक हैं उन पर किसी की बपौती नहीं है. इन्हें पढ़िए भी सिर्फ इनका नाम मत क़ोट कीजिए. पेरियार का जोर हमेशा एक समतामूलक समाज पर रहा है तथा ब्राह्मणवादी पाखंडों के खंडन पर, मायावती की तरह ब्राह्मणवाद से समझौते पर नहीं. मैं तो 40 सालों से फूले, पेरियार अंबेडकर पढ़ रहा हूं. मार्क्सवादी परिप्रेक्ष्य से अंबेडकर पर फार्वर्ड प्रेस के लिए लिख रहा हूं (जल्दूी पूरा करूंगा). मित्र मैं मार्क्सवादी हूं किसी पार्टी में नहीं हूं. हम आप साथ-साथ मिलकर ही ब्रह्मणवाद-क़रपोरेटवाद के खिलाफ कामयाब हो सकते हैं. आइए जयभीम-लालसलाम के नारों की प्रतीकात्मक एकता को ठोस रूप दें. माओ की भाषा में हमारे अंतरविरोध शत्रुतापूर्ण नहीं हैं.

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