एक साथी ने बदरपुर गांव में अगल-बगल कब्रिस्तान और श्मशान की तस्वीर शेयर किया, उसपर मेरा कमेंट:
इस गांव के कब्रिस्तान और श्मशान के बेदीवार सहअस्तित्व की तस्वीर की आपकी यह पोस्ट डालकर गांव की सामासिक संस्कृति के लिए खतरा पैदा कर सकती है. खट्टर जी का कोई पुरातत्वशास्त्री कब्रिस्तान को किसी मध्यकालीन श्मशान या मंदिर की जगह बना हुआ है और देशभक्तों की फौज निकल पड़ेगा गैता-कुदाल लेकर. लेकिन वहां तो खोदा जाता है, वे ढहाएंगे क्या? वैसे गुरात में मजारें ढहाकर वहां 'हुल्लड़िया हनुमान' की मूर्ति रख दिया और मस्जिदों की जगह 'गोधड़िया हनुमान की'. मनाइए कि किसी देशभक्त पुरातत्ववादी की नज़र आप की पोस्ट पर न पड़े.
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