Wednesday, February 15, 2017

वैलेंटाइन दिवस

कल सोचा था मैं भी वैलेंटाइन डे मनाऊं
और याद करूं प्यार के उन लम्हों को
जिसे हमने मिलकर जिया था
जिनमें हमने मिलकर किया था प्यार
पेड़-पौधों; काले-गोरे बच्चों
आसमान और जहान से
जब हमने मिलकर किया था
ऐसी दुनियां के संकल्प से प्यार
जिसमें महज प्यार हो
प्रवेश-द्वार पर लगी हो तख्ती
'नफरत का प्रवेश निषेध'
क्योंकि हम जानते हैं
कि प्यार से इंकिलाब निकलता है
और नफरत से फासीवाद.

लेकिन डर से नहीं मनाया कल वैलेंटाइन डे
कहीं जब हम खोए हों साझे सपनों में
जिसमें न हिंदू-मुसलमान होना
निखालिश इंसान होने की इत्तफान पहचान हों
उसी तरह जैसे स्त्री-पुरुष होना
हमारे निखालिश इंसान होने की इत्फाकन पहचान है
कहीं आ न जाए करने कलंकित यह पावन दिन
गौरवशाली संस्कृति के सिपाहियों का युद्धोंमादी झुंड
जो नफरत से उतना ही बेतहाशा प्यार करते हैं
जितना हम मुहब्बत से
ये प्यार के इज़हार को आयातित संस्कार मानते हैं
प्यार करने वालों को सांस्कृतिक गद्दार मानते हैं
नहीं जानते यह ऐतिहासिक सत्य
कि प्रेम अपने आप में एक संस्कृति है
इंसानियत के सारे संस्कारों की जननी
ईशा मशीह की तरह पश्चाताप करते हैं
प्यार के पापियों के लिए
प्यार के इज़हार के इस दिन को
वे मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाते हैं
नज़ीर देते हैं किसी पौराणिक श्रवण कुमार की
जो ढोता रहा तहे-ज़िंदगी मां-बाप की जिंदा लाशें
दिशाहीन यहां-से-वहां
भगवान राम तो बाप की बात मान चले गए बनवास
एक आज्ञाकारी सिपाही की तरह
जो सोचने को सैनिक-धर्म विरुद्ध मानता है
और मानता हुक्म चुपचाप
चाहे वह जान देने का ही क्यों न हो
वे नहीं जानते सोचने से ही इंसान ने
अलग किया था खुद को पशुकुल से

खैर फुट नोट अनायास लंबा हो गया
मैं बता रहा था क्यों नहीं मैंने किया तुम्हें याद
कल प्यार के इज़हार के त्योहार पर?
क्या था डर का लब्बोलबाब?
कहता हूं वैसे तो पूरे वशूक से
इतिहास की गाड़ी में बैक गीयर न होने की बात
और देता हूं भूत-ओ-भगवान के भय से मुक्ति को
भय-मुक्ति की मिशाल
लेकिन इतिहास की गाड़ी कभी यू-टर्न ले सकती है
ये लोग जो प्यार करते हैं नफरत से
जोड़ते हैं प्यार महज परिवार से
इस दिन ये प्यार के विरोध में
प्रेमियों पर हमला बोल देते हैं
प्यार की अलौकिक अनुभूति को
भाई-बहन; पति-पत्नी के
संकीर्ण पारिवारिक रिश्तों में जकड़ने की धमकी देते हैं
ये अकेले नहीं झुंड में रहते हैं
और झुंड में तो कुत्ते भी शेर हो जाते हैं
मेरा क्या हर दिन प्यार का होता है
वैलाइंटाइन दिवस के बिहान में इजहार कर लेता हूं.
(ईम: 15.02.2017)

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