Wednesday, September 30, 2015

मोदी विमर्श 48

दादरी नृसंस हत्या कांड के सिलसिले में  Cheshta Saxena​ की  धार्मिकता को कोसने वाली 1 पोस्ट पर किसी ने किसी ने धर्म के विरुद्ध आह्वान को खतरनाक बताते हुए लिखा कि मनुष्य स्वभाव से हिंसक होता है तथा भयानक कम्युनिस्ट रक्तपात के खतरे से आगाह किया. कुछ लोगों के सर पर कम्युनिस्ट भूत इस कदर सवार रहता है कि किसी भी बात पर कम्युनिस्ट-कम्युनिस्ट अभुआने लगते हैं. मैंने उनसे कहाः
पांडेजी अापका ज्ञान अफवाहजन्य है. मनुष्य प्रकृति से हत्यारा नहीं होता, समाजीकरण से सोच बनती है. कम्युनिस्टों की हिंसा के आंकड़े आपने किस श्रोत से इकट्ठा किया. मैं थूकता हूं ऐसी धार्मिकता पर जो मनुष्य को नरभक्षी बना दे तथा उनके आकाओं पर जो लाशों की तिजारत की सियासत करते हैं. मोदी जी जिन्हें मेक इन इंडिया के लिये न्योता दे रहे हैं उनका मुख्य भोजन ही गोमांस है. नरभक्षी को जब मनुष्य की मांस का चस्का लग जाता है तो मारे जाने तक मानता नहीं. शर्म आनी चाहिए ऐसी धार्मिकता पर जिसमें दो इंसानों की जान की कीमत किसी कल्पित गाय की जान से कम हो. यह तो जंगलराज से भी बदतर है कि 100 लोग किसी को अपराधी कराऱ कर मार डालें. भीड़ की बहादुरी नीच किस्म की कायराना हरकत होती है. यह यूपी में 2017 के चुनाव की तैयारी की  शुरुआत है। मुजफ्फरनगर की तैयारी सांप्रदायिक हमले के काफी पहले शुरू हो गयी थी. मालुम नहीं कब तक उगती रहेगी दंगों की खाद से मतदान की फसल.

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