पक्षधरता बेईमानी तब ही होती है जब कि स्वार्थप्रेरित या स्वहितोन्मुख हो. ब्राह्णण चारवाक की ब्राह्मणवाद के विरुद्ध भौतिकवाद की पक्षधरता बेईमानी कैसे हो सकती है या उद्योगपति बाप के बेटे एंगेल्स की मजदूरों की पक्षधरता? निष्पक्षता या तो ढोंग होती है या आत्मछलावा. विभाजक रेखा सदियों से खिची है, दमन तथा प्रतिरोध के बीच; न्याय-अन्याय के बीच; जातिवाद-जातिविरोध के बीच; सांप्रदायिकता-धर्मनिरपेक्षता के बीच; कट्टरपंथ-वैज्ञानिकता के बीच; फासीवाद-जनतंत्र के बीच; मर्दवाद तथा नारी-प्रतिष्ठा के बीच; शासक-शासित तथा शोषक-शोसित के बीच. जेपी-गांधी विचार-विनिमय की एक बात याद अाती है. 1934 में हरिजन में गांधी ने लिखा कि कुछ युवा कांग्रेसजन वर्गसंघर्ष जैसी हल्की बोतों में उलझ रहे हैं. जेपी ने लिखा कि संघर्ष तो जारी है, सवाल पक्षधरता का है.
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