Sudhir Kumar Jha ऐतिहासिक कारणों से मानवनिर्मित ईश्वर की अवधारणा महज कल्पना है,कल्पना को चुनौती देने में कोई रिस्क नहीं है. कुछ भी निरुद्देश्य नहीं होता. मिथकों का इस्तेमाल हमेशा अंधविश्वास तथा खास मूल्यों के पोषण के लिए किया जाता रहा है. हिरण्यकश्यप का मिथक ईश्वर की सर्वशक्तिमान छवि की पुष्टि के लिए गढ़ा गया है.लोगों के अंधविश्वास की व्यापता को देखते हुए कौटिल्य ने राजा को अपद्धर्म के रूप में दैविक मिथकों के इस्तेमाल की विस्तृत सलाह दी है. संदेह करने वाले को गुप्त रूप से मार दिया जाय या कोई अपूर्णीय क्षति पहुंचाई जाय जिससे दैवीय चमत्कार में लोगों का अंधविश्वास और मजबूत हो. दरअसल यह पोस्ट, कलबुर्गी की शहादत की एक पोस्ट पर किसी ने कमेंट किया कि ईश्वर ने उन्हें नास्तिकता का दंड दिया. उसी पर मैंने यह कमेंट कर दिया कि मैं भी नास्तिक हूं अगर ईश्वर का काम दंड देना है तो दे. मनुष्य के अपराध को भी भक्त ईश्वरीय बना देते हैं.
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