Friday, September 4, 2015

मार्क्सवाद 9

Sandeep Yadavजिसका भी अस्तित्व है उसका अंत निश्चित है, परिवर्तन के सिवा कुछ भी अपरिवर्तनीय नहीं है। लेकिन परिवर्तन चेतन मानव प्रयासों से ही आता है खुद-ब-खुद नहीं. आपने जिन बुराइयों को अपरिवर्तनीय माना है वे वर्ग समाज की विशिष्टताएं हैं, मानव के स्वाभाविक स्वभाव की नहीं. वर्ग समाज की व्यवस्था के अंत के साथ इनका भी अंत हो जायेगा. वर्ग व्यवस्था का अंत जारी वर्गसंघर्ष को वर्गचेतना से लैस करने से होगा. शिक्षा वर्गचेतना के विकास को बाधित करने का राज्य का सर्वाधिक प्रभावी औजार है. वर्गचेतना का विकास इसका अनचाहा सकारात्मक परिणाम है. युगचेतना के विरुद्ध शिक्षा की सीमाओं के बावजूद जनचेतना का विकास आगामी इतिहास है जब जनचेतना ही युगचेतना बन जायेगी शासक तथा शोषित की विभाजक रेखा मिट जायेगी. लेकिन उसके लिये जनचेतना से लैस जनसंघर्षों की निरंतरता की जरूरत है. क्रांतिकारी परिवर्तनों में छात्रों की भूमिका अग्रणी होती है, उन्हें छात्रचेतना से लैस होना पड़ेगा.

No comments:

Post a Comment