हमें लड़ना ही है साथी क्योंकि लड़ने
की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं
हमें लड़ना है कलम की आज़ादी के लिए
हमें लड़ना है पाश की शहादत की हिफ़ाजत
के लिए
हमें लड़ना है कलबुर्गी की विरासत को
बढ़ाने के लिए
कलम से भयभीत कायर कट्टरपंथ को ये
बताने के लिए
कि तोड़ोगे जब भी मेरा कलम और मुखर
होगा तुम्हें और डराने के लिए
हमें लड़ना है न डरकर डर को डराने के
लिए
लड़ना ही है समता के सुख का जश्न मनाने
के लिए
(जन्मने की प्रतीक्षासूची में एक और
अजन्मी कविता का इजाफा)
(ईमिः 11.09.2015)
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