Raj K Mishra जितने वहां के छात्र हैं सब इंट्रेंस निकालकर ही प्रवेश लेते हैं, प्रवेश लेकर आप भी उन भाग्यशाली छात्रों में एक हो जाएंगे. आलतू-फालतू लोगों को ही उच्चशिक्षा मनबहलावा और आलतू-फालतू लगता है, आप ही नहीं तमाम लोग जेएनयू के बारे में जहर उगलते रहते हैं उसमें जेएनयू में न पढ़ पाने की कुंठा भी शामिल होती है, वहां पढ़कर आलतू-फालतू से विवेतशील इंसान बनने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। वहां के संघी भी या तो असंघी हो जाते हैं या कम-से-कम बाकी संघियों से थोड़ा बेहतर इसान हो जाते हैं। निर्मला सीतारमन को ही देखिए। मैं तो आपातकाल में एक सुखद संयोग के तहत इवि जैसे सामंती कैंपस से जेएनयू जैसे अद्भुत कैंपस में पहुंच गया।
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