8 घंटे काम का नारा पहली बार फर्स्ट इंटरनेसनल ने 1864 में दिया था, 1886 में शिकागो के मजदूरों ने इसी मांग को लेकर प्रदर्शन किया जिस पर पुलिस और मालिकों के गुंडों ने गोलीबारी की कई मजदूर शहीद हुए, कई मजदूर नेताओं पर मुकदमें चले, कई को मौत की सजा सुनाई गयी, शहीदों के लहू से सरोबार उनकी कमीजें परचम बन गयीं और लाल फरारे के साथ सर्वहारा की विद्रोही उमंगों को जो दरिया झूमकर उठा उसे रोका न जा सका और दुनिया के सरमायेदारों और उनके राजनैतिक दलालों को 8 घंटे काम की मांग माननी पड़ी। इतिहासदुहराता नहीं प्रतिध्वनित होता है, अब फिर से नवउदारवादी मनमानी के खिलाफ 8 घंटे काम की मांग के साथ जो दरिया उट्ठेगा वह दुनिया को लाल कर देगा लाल फरारों से। सभी देशों के मजदूरों को लाल सलाम।
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