Tuesday, November 19, 2019

बचपन 13

जौनपुर पढ़ते हुए ( क्लास 9 से 12) सब लड़कों की तरह मैं भी बिना टिकट यात्रा करता था। जौनपुर से बनारस भी कई बार बिना टिकट चल देता था। टीटी ने एक बार पकड़ा, जौनपुर से बनारस की यात्रा में नहीं। घर (बिलवाई -- स्थानीय स्टेसन) से जौनपुर की यात्रा में। दसवीं में पढ़ता था, क्लासके बच्चों से डेढ़-दो साल छोटा था, दुबले-पतले लड़के अपनी उम्र से भी कम लगते हैं। पहले मैं टिकट लेकर चलता था लेकिन सब बिना टिकट, तो टिकट लेना बेइज्जती लगने लगी तो मैं भी सबकी तरह बिना टिकट चलने लगा। टीटी आ गया टिकट पूछा, जेब में हाथ डालकर मैं बोला, नहीं है। क्यों के जवाब में मैंने बहुत मासूमियत से कहा कि खरीदना भूल गया। फिर उसने क्लास पूछा तथा अविश्वास में गणित और अंग्रेजी के कुछ सवाल पूछ दिया। जवाब से खुश होकर पीठ थपथपाकर बोला कि मैं इतना अच्छा लड़का हूं, टिकट लेकर चलना चाहिए मैंने साभार उसकी बात मान ली, तब तक जौनपुर आ गया और उसने मुझे गेट तक पहुंचा दिया।

2 comments:

  1. बचपन की अच्छी सीख जीवनभर साथ रहती है
    बहुत सुन्दर

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    1. शुक्रिया, कविता जी।

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