एक ग्रुप में सबको मुफ्त शिक्षा की हिमायत काप्रेमचंद का एक वक्तव्य शेयर किया, एक सज्जन ने कहा कि मुफ्त शिक्षा सब जगह हो लेकिन 'वामपंथी केवल जेएनयू में मुफ्त शिक्षा चाहते हैं', उस पर कमेंट:
यह आपकी कमनिगाही तथा दुराग्रह है जो आपको लगता है हम महज जेएनयू में मुफ्त शिक्षा चाहते हैं, हम पूरे मुल्क में समान और मुफ्त शिक्षा की मांग कर रहे हैं। हम प्रस्तावित नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं जिसमें शिक्षा का पूर्ण निजीकरण और बाजारीकरण की योजना है। हम चाहते हैं मुल्क के सारे विवि जेएनयू बनें, छात्र शिक्षा के अपने अधिकार के लिए लड़े, जेएनयू के छात्रों की तरह जो बर्बर सरकार की बर्बर पुलिस की बर्बरता सहते हुए, लाठी-गोली खाते हुए, बैरीकेड तोड़ते हुए संसद घेरने पहुंच रहे हैं, इन बहादुर लड़के-लड़कियों, गरीब-मजदूरों के बेटी-बेटों के चेहरों की दृढ़ता देखो जो लाठी-गोली की परवाह किए बिना संसद को घेरने और हक के लड़ने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। पुलिस वाले 10-10 मिलकर एक एक लड़के लड़की को घसीट रहे हैं, उनके चेहरे पर शिकन के बदले लड़ने-बढ़ने की दृढ़ता है। सड़कों पर मानव श्रृंखला बनाकर चल रहे हैं और कॉरपोरेटों की चाकर सरकार को, फैज अहमद फैज के शब्दों में ललकार रहे हैं, 'जो दरिया झूमकर उट्ठा है (लाठी-गोली के) तिनकों से न टाला जाएगा', 'सर भी बहुत बाजू भी बहुत. कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, चलते भी चलो की अब डेरे मंजिल पर ही डाले जाएंगे'। इनके स्वर में स्वर मिलाकर, पाकिस्तान की फैज यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं वहां के कॉरपोरेटी दलाल हुक्मरानों को चुनौती दे रहे हैं, 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है'। जेएनयू और फैज यूनिवर्सिटी के इंकिलाबी युवाओं को लाल सलाम। इंकलाब जिंदाबाद। दोनो ही देशों के जंगखोर-हरामखोर हुक्मरान मुर्दाबाद। शिक्षा की दुकानदारी मुर्दाबाद।
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