Saturday, November 23, 2019

लल्ला पुराण 295 ( भारत पाकिस्तान जन एकता)

लंबा कमेंट, कम्यूटर की समुचित दक्षता के अभाव में मिट गया, दुबारा वही लिखना नामुमकिन होता है।हम दुबारा वही नदी नहीं पार करते, परिवर्तन ही साश्वत है, दुबारा पार करते समय नदी बदली हुई होती है 'अंततः पाकिस्तान का भारत में विलय होगा' कहने में युद्धोंमादी प्रवृत्ति अंतर्निहित है। समुचित, मानवीय वाक्य होना चाहिए, 'अंततः भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश एक होंगे'। बंगाल एक होगा, पंजाब एक होगा, कश्मीर एक होगा। सरहदों के दोनों तरफ एक ही तरह के लोग हैं, दोनों ही तरफ के विवेकशील, संवेदनशील लोग मानते हैं कि औपनिवेशिक शह पर बंटवारा अस्वाभाविक था, भूगोल बांटा जा सकता है, साझा इतिहास, साझी सभ्यता-संस्कृति नहीं। दोनों ही तरफ की फिरकापरस्त ताकतें लोगों के विरुद्ध औपनिवेशिक ताकतों के मुहरों का काम किया। दोनों ही तरफ को लोग एक ही भाषा बोलते हैं, गरीबी-भुखमरी से आजादी के एक ही तरह के नारे लगाते हैं। दोनों ही तरफ के हुक्मरान अपनी गद्दी की हिफाजत में एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। फीस वृद्धि के विरुद्ध लाहौर की फैज यूनिवर्सिटी के छात्रों के एक प्रोटेस्ट के वायरल हुए एक वीडियो को देखकर कई भक्त जेएनयू के छात्रों को गाली देने लगे, जब पता चला कि वे हिंदुस्वेतानी नहीं पाकिस्तानी हुक्मरानों के खिलाफ डफली बजाकर नारे लगा रहे हैं तो जिंदाबाद करने लगे। 'न मेरा घर है खतरे में, न तेरा घर है खतरे में, वतन को कुछ नहीं खतरा, निजामे-ज़र है खतरे में'। (हबीब जालिब) 'दो पारपत्र उसको जो उड़कर जाए, दो पारपत्र जो उड़कर आए, पैदल को पैदल से मत मिलने दो, वरना दो सरकारों का क्या होगा'। (रघुवीर सहाय)। 2002 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के समय, युद्ध विरोधी प्रोटेस्ट में हम लोगों ने एक नारा दिया था, 'जंग चाहता जंगखोर, ताकि राज कर सके हरामखोर'। 9/11 के बाद अमेरिकी हुक्मरान अमेरिकी जनता की खून-पसीने की कमाई के 6 खरब (ट्रिलियन)$ युद्ध में लगाकर 5 लाख हत्याएं कर चुके हैं। जंग अपने आप में गंभीर मसला है यह कसी मसले का समाधान नहीं हो सकता है, इसमें सब हारते हैं, जीतता कोई नहीं।

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