खबर है कि अजमेर ब्लास्ट मामले में R.S.S के भगवा आतंकी और संघ प्रचारक भावेश पटेल और एक अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी है साथ ही न्यायलय ने इन लोगों पर 10 हज़ार का जुर्माना भी किया है।
चलो ठीक है पहली बार संघ से सीधे जुड़े हुए कार्यकर्त्ता और पदाधिकारी को आतंकवाद के मामले में सजा हुई है। अब ये साबित हो गया है कि देश में हुए कई बड़े धमाकों , मकका मस्जिद , मालेगाव , समझौता एक्सप्रेस , अजमेर दरगाह ब्लास्ट समेत कई ब्लास्ट में डायरेक्ट , इंडिरेक्ट संघ परिवार के कार्यकर्त्ता और पदाधिकारी लिप्त पाये गए हैं।
पहली बार हिन्दू आतंकवाद की प्लानिंग और साज़िश का पर्दाफाश शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की जांच के बाद आया था। उन्ही की जाँच के नतीजे में साध्वी प्रज्ञा , असीमानंद , कर्नल पुरोहित , देवेंद्र पांडेय आदि का नाम सामने आया था। करकरे साहब मुंबई A.T.S के मुखिया थे और इस मामले की गहराई से जाँच कर रहे थे। कानपूर से गिरफ्तार हुए स्वामी दयानंद पांडेय और पुरोहित के लैपटॉप से काफी कुछ जानकारी हासिल हुई थी और साज़िशों का पर्दाफाश हुआ था। अभी जांच अधूरी थी और जाँच पूरी होने पर अभिनव भारत , सनातन संस्था के साथ , साथ संघ परिवार की गहरी साज़िशों का पर्दाफाश होने वाला था। कई बडी मछलियां हत्थे चढ़ने वाली थी। खुद संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार का नाम आ रहा था अजमेर ब्लास्ट में।
इसी राज़ को फ़ाश होने से रोकने के लिए 26 / 11 का सहारा लिया गया और उक्त जाँच में शामिल अधिकारियौ की हत्या करा दी गयी। और करकरे , काम्टे वगैरह को रास्ते से हटा दिया गया।
भगवा आतंकवाद की जाँच कर रहे करकरे और उनकी टीम की हत्या की साज़िश पर who killed karkare नाम से मुंबई पुलिस के सेवानिरवृत अधिकारी S.M.Mushrif ने विस्तार से अपनी बात रखी है। अभी केंद्र व प्रदेश में भगवा सरकार है और सबकुछ मैनेज कर लिया गया है। मालेगाव ब्लास्ट मामले को देख रही A.T.S की वकील रोहिणी सालियान को हटा दिया गया और C.B.I ने भी लीपापोती कर दी जिसकी वजह से करनल पुरोहित , असीमानंद , साध्वी प्रज्ञा , देवेंद्र उपद्ध्याय वग़ैरह को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।लेकिन
अजमेर ब्लास्ट के मामले में R.S.S के भावेश पटेल आदि को सजा सुनाए जाने से हिन्दू आतंकवाद का चेहरा उजागर हुआ है और संघ की देश विरोधी ,मुस्लिम विरोधी साज़िश का पर्दाफाश हुआ है। ज्ञात हो की इन्ही मामलो में सैंकड़ों मुस्लिम युवा आतंकवाद के आरोप में जेल भेजे गए , प्रताड़ित किये गए और 10 , 12 साल बाद निर्दोष पाये गए तो रिहा किये गए। यानि किया किसी ने और भुगता किसी ने। ये इंसाफ का तकाज़ा नहीं हो सकता है। अभी भी बहुत से लड़के इंसाफ का इंतज़ार कर रहे हैं ,उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए और वास्तविक अपराधियों और साजिशकर्ताओं को सजा दिया जाना चाहिए। इस मामले में इंद्रेश कुमार का नाम आने के बावजूद उनसे पूछताछ नहीं हुई और उनको बचाया गया जबकि उनसे भी पूछताछ होती तो कुछ और राज़ का पर्दाफाश होता और बेकसूर रिहा होते।
29.11.2017
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