Saturday, October 19, 2019

लल्ला पुराण 284 (विचारधारा)

Sachin Pathak मैं तो बंधुआ मजदूरों की मुक्ति का अभियान चलाता हूं, बंधुआ बनाता नहीं। विचारधारा -- जैसे, मर्दवाद, सांप्रदायिकता, जातिवाद आदि -- मिथ्या चेतनाएं हैं जो दिमाग को प्रदूषित करती हैं तथा प्रदूषित विचार पैदा होते हैं। मैं अपने विवेकसम्मत विचारों के प्रति निष्ठावान हूं। विचार तथा विचारधारा अलग अलग अवधारणाएं हैं। 38 साल पहले 'कंटेंपरेरी साउथ एसिया' (राउतलेज, लंदन) में मैंने इस पर एक पेपर लिखा था, खोजकर टाइप कराकर शेयर करूंगा। तथ्य-तर्कों पर आधारित बात करें तो खुद भी सीखेंगे और आपकी बातों से और लोग भी, बाकी गाली-गलौच से अपनी छवि खराब करेंगे, और दूसरों के दिमाग की शांति भंग करेंगे।

'एसी कमरे के भीतर सुराऔर सुंदरी' में व्यस्त रहने वाले कितने कम्युनिस्टों को जानते हैं। यह बहुत कुत्सित विचार है। स्त्री सुंदरी के अलावा एक मुकम्मल इंसान होती है जो हर क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ रही है। किसी स्त्री का अस्तित्व सुंदरी तक सीमित करना मर्दवादी विकार है। एक शिक्षक को शब्दों के चुनाव में सजग रहना चाहिए। वैसे तो विज्ञान के छात्र (मैं भी रहा हूं) सामाजिक समझ के मामले में दुर्भाग्य से बहुत अवैज्ञानिक रह जाते हैं फिर भी कम्युनिज्म जैसे विषयों पर फतवेबाजी किस्म का फैसलाकुन वक्तव्य देने के पहले कुछ जानकारी हासिल कर लेना चाहिए।फॉर्मूला रटने की बजाय गणित का वैज्ञानिक अध्ययन विश्लेषणात्मक परिप्रक्ष्य दे सकता है। मैं राजनीति में जेएनयू से शोध करते समय 4 साल डीपीएस (आरकेपुरम्) में गणित पढ़ाता था, पहला वाक्य बताता था, Mathematics is that branch of knowledge, which trains our mind for clear thinking and reasoning. Mithilesh Pandey जी।

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