Wednesday, October 2, 2019

प्लेटो और द्वंद्वात्मक भौतिकवाद

प्लेटो अादर्शवादी था तथा दृष्य जगत को अदृष्य विचार-जगत की परछाई मानता था. विचार सत्य जगत छाया. वैयक्तिक प्रेम असली प्रेम नहीं है, वास्तविकता प्रेम का विचार है. विचार वस्तु क जनक हैं. यह एक ऐतिहासिक असत्य है. अाध्यात्मवादियों की ही तरह आदर्शवादी भी, गोलमटोल तर्कों के माध्यम से सत्य को किसी अदृष्य, अप्रमाणित दुनिया में स्थापित कर दुनियावी हकीकत की विद्रूपताओं को छिपाने का उपक्रम करते हैं. ऐतिहासिक रूप से वस्तु विचार की पूर्ववर्ती है तथा विचार वस्तु का जनक/जननी न होकर वस्तु ही विचार की जननी है. न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से सेबों का गिरना नहीं शुरू हुआ,उनको गिरता देख न्यूटन के दिमाग में कारण जानने का विचार आया. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के अनुसार सत्य वस्तु तथा विचार की द्वंद्वात्मक एकीकरण है.

द्वंद्वात्मक भौतिकवाद अंतिम सत्य की अवधारणा का खंडन करने तथा देश-काल के अनुसार सापेक्ष सत्य के अन्वेषण का दर्शन है जो अप्रमाणित को असत्य मानता है. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद अमूर्त अादर्शवाद या आध्यात्मिक फरेब नहीं है न किसी दर्शन को बिना पढ़े, बिना सत्यापित तथ्यों-तर्कों को खारिज़ नहीं करता. मुझे पूरा विश्वास है कि आपने द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के बारे में कुछ नहीं पढ़ा है. इसके बारे में आपका ज्ञान सुनीसुनाई गल्पकथाओं तथा भक्तों की बेसिरपैर अफवाहों पर आधारित है. आपके फायदे के लिए अपने एक लेख का लिंक दे रहा हूं.

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