RamaNand Mishra ब्राह्मणवाद, वर्णाश्रमवाद, जातिवाद, मनुवाद एक दूसरे के पर्याय हैं। सनातनवाद कहा जा सकता है। DS Mani Tripathi मनुवाद वर्णाश्रम व्यवस्था (ब्राह्मणवाद) के औचित्यीकरण की न्यायिक एवं सामाजिक आचारसंहिता के रूप में स्थापित की गयी जो ब्राह्मणवाद का पर्याय बन गई। माओ या शुरुआती समाजवादियों ने जन्म के आधार पर समाज-विभाजन को कृत्रिम बताया तथा मजदूरों की अंतर्राष्ट्रीयता पर जोर दिया। जिसे बौद्धिक संशाधनों की सुलभता होगी वही जन्म की अस्मिता से ऊपर उठकर इतिहास की समग्रता में विश्लेषण कर सकते हैं। वर्णाश्रमवाद और ब्राह्मणीय कर्मकांडों के विरुद्ध बुद्ध के अभियान में उनके पहले 5 साथी जन्मना ब्राह्मण थे पहली-दूसरी शताब्दी (कनिष्क काल) के बौद्ध दार्शनिक अश्वघोष तथा दूसरी-तीसरी शताब्दी के नागार्जुन जन्मना ब्राह्मण थे। आधुनिक काल में राहुल सांकृत्यायन तथा बाबा नागार्जुन ब्राह्मण ही थे। चलिए अब से वर्णाश्रमवाद या मनुवाद का प्रयोग ज्यादा करूंगा।
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