आप बाभन से इंसान बन जाइए सब समझ में आ जाएगा, वरना आजीवन पंजीरी खाकर भजन गाते रहिए। वैसे भाषा की तमीज मां-बाप से सीखा या शाखा में? 99% मुठभेड़ें फर्जी होती हैं। भाड़े के हत्यारों में वास्तविक मुठभेड़ का साहस नहीं होता, अगर उनके आकाओ ने जबरदस्ती मरने के लिए न भेज दिया तो। वही सुरक्षा बल जो 1947 तक अंग्रजों के तलवे चाटते हुए उनके हुक्म से अपने हिंदुस्तानी भाइयों का कत्ल करते थे अब वही अपने काले अंग्रेज आकाओं के कहने पर अपने ही जैसे गरीबों का कत्ल करते हैं। भाड़े का हत्यारा शहीद नहीं होता, उसकी मौत को शहादत कह कर गौरवान्वित किया जाता है कि मारने, मरने के लिए भाड़े के हत्यारों की निरंतरता बनी रहे। योगी की पुलिस उप्र की सबसे बड़ा गुंडा गिरोह है।
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