सुनो क्या नाम है तुम्हारा प्रसून जोशी
तो बन ही गए तुम भी भक्तिभाव को रोगी
नहीे हैं राज्यसभा की पात्रता महज भंड़वागीरी
बजाना पड़ता पड़ता है मजहबी नफरत की खझड़ी
पैदा करनी होगी निक्करधारी-विशिष्ट प्रवृत्ति
और करनी होगी प्रवृत्ति की सतत पुनरावृत्ति
बनना होगा यमजे अकबर और चंदन मित्रा
आदर्श है जिनके सड़कछाप लंबित पात्रा
लेकिन लेते रहो पवित्र पात्रों के चरणामृत
कभी तो टपकेगा राज्यसभा का अमृत
(ईमि:19.04.2018)
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