Thursday, April 6, 2017

मार्क्सवाद 52

सोचना एक व्यावहारिक क्रिया है. व्यवहार-सिद्धांत दोनों की द्वद्वात्मक एकता ही यथार्थ है और परिवर्तन का इंजन.

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