Wednesday, April 19, 2017

मार्क्सवाद का भूत

बेचारा उम्मीद में था बनने को शिक्षामंत्री
बैठा दिया उसे टीवी पर बांचने संघी जंत्री
कुंठा के वहशीपन में आंव-बांव चिल्लाता है
बे सिर पैर की मिशालें देने लगता है
करता है शोर में तर्क की आवाज दबाने की कोशिस
तर्क की बुलंदी कर देती नाकाम उसकी साजिश
फिर पानी पी-पीकर वाम-वाम बड़बड़ाता है
मार्क्सवाद के भूत से प्रताड़ित बताया जाता है
दौरा पड़ने पर माओ माओ अभुआता है


सुना है किसी कॉलेज में नौकरी भी करता है.
(ईमिः20.04.2017)

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