Sunday, April 2, 2017

खुदा

खुदा गरीब में बसता था पिछले जमाने में
दो घूंट मिल जाता था उसे
सामंती खैरात के मैखाने में
जब से आया दुनिया में निज़ाम-ए-ज़र
नफा-नुकसान हुआ जिंदगी का मकसद
खुदा ने भी मान लिया डार्विन का नियम
जिए वही हो जो जमाने में जीने में सक्षम
खुदा ने भी बदल दिया अपना बसेरा
ज़र में लगा तलाशने नया सबेरा
करता था मदद पहले मजलूम-महकूमों की
अब करता मदद ताकतवर किरदारों की
(ईमिः01.04.2017)

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