1969 में गांधी जन्म शताब्दी के ही साल हमारे कॉलेज (तिलकधारी क़ॉलेज) के संस्थापक तिलकधारी सिंह की भी जन्म शताब्दी थी. मैं हाईस्कूल में था. कई समारोह डिग्री कॉलेज तथा इंटर कॉलेज संयुक्त रूप से मनाते थे. उस समारोह की दो बातें याद रह गयीं, एक तो यह कि संस्थापक जौनपुर जिले के पहले ग्रेजुएट थे दूसरी यह कविता जिसे बीए के छात्र, तब के राजेश उपाध्याय तथा अब राजेश विवेक ने सुनाया था. मैंने इसे उन्ही की कविता समझ लिया था. इलाहाबाद विवि में एक गोष्ठी में नीरज जी को सुनकर वास्तविक कव तथा संदर्भ का भान हुआ
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