इनकी बात से दिवि में ऩंदीग्राम पर एक सेमिनार की याद आती है. वक्ता थीं सीपीयम समर्थक अर्थशास्त्र की प्रोफेसर जयति घोष. मेरे एक असुविधाजनक सवाल पर श्रोताओं में से एक भक्त (भक्तिभाव पर संघ का एकाधिकार नहीं है) ने मुझे डांटते हुए कहा था, "इस बार हम और ज्यादा बहुमत पायेंगे", मैंने पूछा, "मोदी से भी ज्यादा?". सूबे को मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि विषयों के फर्जी छात्रों तथा फर्जी सरकारी कर्मचारियों से भरने वाले 45 जानें से चुके घोटाले को छोटी घटना बताते हुए पत्रकार अक्षय की मृत्यु के सवाल पर विद्रूप हंसी हंसने वाले मप्र भाजपा नेता तथा राष्ट्रीय महासचिव का कहना है कि इससे न तो उनकी पार्टी का माराल घटेगा न ही उसका जनाधार. कैलाश विजयवर्गीय जी, आपने सीपीयम का हश्र देख लिया. जनाधार किसी की रखैल नहीं होता, खिसक जाता है. जनता को देश लूटने-बेचने की आपकी साज़िश जैसे ही समझ आयेगी, जनाधार खिसक जायेगा तथा आप जैसे मानसिक दिवालए लुटेरे इतिहास के कूड़ेदान की शोभा बढ़ाएंगे.
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