बस ऐसे ही. बौद्धिक आवारागर्दी का एक नमूना--
वो खुदा जो तेरे करीब है
वही तो मेरा रकीब है
ज़िंदगी की क्यों तलाश है
वह तो निशदिन तेरे पास है
गलियों में भटकने से भटकता रास्ता
मिल जाता है हो ग़र मकसद से वास्ता
भटको मत संधान करो
मार्गों का अनुमान करो
लगा दो विवेक को अनुसंधान के काम पर
मानो उसकी बात दिल को अपने थाम कर
मक़सद ग़र बड़ा तो राह मुश्किल होगी
नीयत की पाकीज़गी राह आसान कर देगी
(ईमिः 02.07.2015)
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