जनहस्तक्षेप
फासीवादी मंसूबों के खिलाफ
अभियान
नई दिल्ली
गुरूवार,
16 जुलाई, 2015
मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता
सीतलवाड़ का उत्पीड़न
जनहस्तक्षेप
सुपरिचित मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता
सीतलवाड़ के मुंबई
स्थित निवास और
कार्यालय पर केन्द्रीय
अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के
मंगलवार के छापों
पर क्षोभ जाहिर
करते हुए इसकी
कड़ी निंदा करता
है। उन्हें इस
तरह परेशान किए
जाने की वजह
जगजाहिर है। इस
घटना का सीधा
संबंध प्रधानमंत्री और
गुजरात के तत्कालीन
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की
शह पर राज्य
में 2002 में हुए
दंगों के पीडि़तों
को इंसाफ दिलाने
की तीस्ता की
कोशिशों से है।
सरकार का ओछेपन
के इस निचले
स्तर तक उतर
आना शर्मनाक है।
तीस्ता के उत्पीड़न
का एकमात्र मकसद
उन अदालती मामलों
को पटरी से
उतारना है जिनमें
भारतीय जनता पार्टी
के कई प्रमुख
नेता फंसे हुए
हैं। इसकी जीती-जागती मिसाल गुजरात
उच्च न्यायालय के
दो न्यायाधीशों का
नरोदा पटिया मामले
में अपीलों की
सुनवाई से खुद
को अलग कर
लेना है। न्यायमूर्ति
एमआर शाह और
न्यायमूर्ति केएस झवेरी
ने बुधवार को
खुद को सुनवाई
से अलग करते
हुए कहा कि
कुछ अभियुक्तों ने
उन पर दबाव
डालने की कोशिश
की है। अल्पसंख्यक
समुदाय के 97 सदस्यों की
हत्या के इस
मामले के 29 दोषियों
में गुजरात की
पूर्व मंत्री माया
कोडनानी और विश्व
हिंदू परिषद के
नेता बाबू बजरंगी
समेत संघ परिवार
की अनेक प्रमुख
हस्तियां शामिल हैं।
इन दंगों के मामले
में श्री मोदी
और 58 अन्य अभियुक्तों
को निचली अदालत
से क्लीन चिट
दिए जाने के
खिलाफ जकिया जाफरी
की अर्जी पर
गुजरात उच्च न्यायालय
में निर्णायक सुनवाई
27 जुलाई से होनी
है।
जनहस्तक्षेप
सभी नागरिकों और
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील
करता है कि
वे देश की
शांतिप्रिय और न्यायप्रिय
अवाम के लोकतांत्रिक
और मानवीय अधिकारों
को कुचलने की
केन्द्र की मौजूदा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार
की फासीवादी कोशिशों
का एकजुट होकर
सख्ती से विरोध
करें।
ह0/ईश
मिश्र
संयोजक, जनहस्तक्षेप
मोबाइलः 9811146846
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