बहुत तेज होता है फासीवाद
करता है अफवाहें ईजाद
पैदा करने को फिरकापरस्त धर्मोंमाद
और फैलाने को नफरत की आग
करवाता है फिर भीषण जनसंहार
लूट, आगजनी और बलात्कार
मनाता है शौर्यदिवस मर्दानगी का
फासीवादी लंपटों की हैवानगी का
जानता है यह राज़ मुल्क का थैलीशाह
मुनाफे की फासीवाद में गुंजाइश अथाह
छिपकर ही नहीं खुलकर भी देता वह इसका साथ
दिख जाता है सबको बाजार का अदृश्य हाथ
लिख गये हैं गोरख पांडेय कुछ दशक पहले
उगती हैं दंगों की जमीन पर मतदान की फसलें
जागेगा ही आवाम लेकिन एक-न-एक दिन
होगा वह फासीवादी मंसूबों का अंतिम दिन
फैलेगी मुल्क में फिर से सामासिक संस्कृति
होगी नहीं जिसमें फिरकापरस्ती की विकृति
(ईमिः 27.02.2014)
बहुत खूब ।
ReplyDelete